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दो मिटा सब धर्मों को मैं तो सब को प्यार करूँगा आशा करता हूँ ये कविता आप सब को आत्मविश्लेषण करने को मजबूर करे ॥ तुम सब आनन्द परिवेश सब घाव पाँव

Hindi सब को Poems